जानेंगे Best piles doctors in ujjain
Fissure treatment in Ujjain
Piles specialist doctor in Ujjain
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पाइल्स रोग को अधिकतर लोग अर्श या बबासीर के नाम से भी जानते हैं इसके साथ ही हम बताने वाले हैं भगंदर या फिस्टुला के बारे में उज्जैन शहर में इसके इलाज के बारे में कैसे एक बेहतर डॉक्टर ही इन रोगो का जड़ से इलाज कर सकता है पाइल्स फिस्टुला फिशर में अंतर क्या होते है यह भी जानलो
Types of anus diseases and treatment
पाइल्स या बवासीर, फिस्टुला यानी भगंदर, और फिशर ये गुदा रोग से संबंधित बीमारियां हैं इनकी मुख्य वजह गलत खानपान पुरानी कब्ज, सही से सफाई ना होना या नुकीली चीज से घाव होना या जो लोग मिर्च मसाला और मैदे से बने हुए खाद्य पदार्थ अधिक खाते है या फिर कम व्यायाम करते हैं ऐसे लोगो को पाइल्स फिस्टुला फिशर होने की अधिक संभावना होती है
- रोग का सम्पूर्ण इलाज के लिए
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पाइल्स बवासीर का इलाज उज्जैन
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Piles जिसे आम बोलचाल की भाषा में बवासीर नाम से भी जाना जाता हैै गुदा के टर्मिनल हिस्से में सूजन पैदा कर अंगूर के दानों के समान उत्पन्न हो जाता है
मल त्याग के बाद खून आना या मल के साथ खून आना कई लोग शर्म बस डॉक्टर को नहीं दिखाती और बताएं आम नुकसे आजमाती रहते हैं और इन बीमारियों को बड़ा बना लेते हैं जिससे infection काफी बढ़ जाता है और उसका उपचार होने में कठिनाई होती है इसलिए प्रथम अवस्था में ही डॉक्टर को दिखा लेना चाहिए
फिस्टुला भगंदर का इलाज उज्जैन में
Fistula को आम भाषा में भगंदर के नाम से भी जाना जाता है यह मोटापे और लंबे समय तक बैठने से भी जुड़ा रोग है एक तरह से गुदा ग्रंथियां का infection हैं जो बैक्टेरियल भी हो सकता है इसमें anal संक्रमण हो जाता हैं जिससे मवाद निकलने लगता है रियलिटी में वहा एक अलग रास्ता बनने लगता है यह एक फोटो ऑपरेशन कुछ महीनो बाद का है देखे
इस फोटो में आप समझ सकते है नीचे तक यह रास्ता बन गया था बाद में एक सफल इलाज हमने किया
फिस्टुला संक्रमित ग्रंथि (फोड़ा) से जोड़ने वाला एक मार्ग होता है।
यह रेडिएशन, वार्ट्स, कैंसर, ट्रामा, क्रोहन आदि के कारण भी हो सकता है मुहाने से मवाद आना, दर्द के साथ में सूजन रहती है
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गुदा के दीवाल opning पर कट या दरार का हो जाना
इसमें अधिकतर लोग समझ नहीं पाते या माल त्याग के समय जोर लगाने से अधिकतर मामलों में होता है एक डॉक्टर ही सामान्य परीक्षण के बाद समझ सकता है कि यह फिशर है यह भी दर्दनाक होता है
यह भारी व्यायाम करने के कारण भी हो सकता है
ज्यादातर 50 से ऊपर आयु समूहों को प्रभावित करता है
तीव्र और क्रॉनिक दो रूपों में बाट सकते हैं
फाइबर युक्त आहार और दवा से तीव्र फिशर को आसानी से ठीक किया जा सकता है
क्रॉनिक को प्रबंधित करना मुश्किल है और पुनः हो सकता है
इलाज कहा और कैसे करवाए
इन सभी रोगों के उपचार होने की सबसे बड़ी समस्या यह होती है कि अगर यह सही तरीके से उपचारित ना हुए तो उनके रिपीट होने के चांस होते हैं इसलिए एक सही specialist डॉक्टर के पास ही इसका उपचार करवाएं